Sunday, July 6, 2008

आज मेरे जीवन का ख़ास दिन है. आज मैं 50 वें साल में प्रवेश कर रहा हूँ. जीवन के इस मोड़ से जब पीछे पलट कर देखता हूँ तो इतना लंबा सफ़र उतार चढ़ाव से भरा नज़र आता है. स्मृतियाँ आँखों के सामने किसी फिल्मी रील की तरह घूम जातीं हैं. सच कहूँ तो जीवन ही किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं. हिमाचल के दूर दराज एक ऐसे पहाड़ी गाँव में पैदा हुआ था जहाँ 95 प्रतिशत लोगों ने बस देखी तक नहीं थी. गाँव से कोई सरकारी नौकरी में नहीं था. मैं चार भाईओं में सबसे छोटा हूँ. बड़े तीनों भाई भी चौथी क्लास तक पढ़े थे. माताजी और पिताजी अनपढ़ थे. उनकी इच्छा थी की मैं कम से कम मैट्रिक तो ज़रूर कर लूं. अभी सातवीं क्लास में था की पिता जी चल बसे. उनके सपने को पूरा करने के लिए अपने गाँव में पहला बी ए पास बना और लगभग 25 साल तक अपने गाँव से मैं अकेला ग्रॅजुयेट था. बैंक में क्लर्क की नौकरी शुरू करके आज मेनेजर की पोस्ट तक पहुँचा हूं. आज जब बच्चों से अपने अनुभव कहता हूं तो वे हैरान होते हैं. उन्हीं का सुझाव था कि अपने इन अनुभवों को आप लोगों से भी सांझा करूँ.
मुझे लगता है कि इस शुभ काम को शुरू करने के लिए आज से अच्छा और अवसर नहीं हो सकता. इस लिए आज से अपने इन अनुभवों को आप लोगों से साप्ताह में एक या दो बार अवश्य सांझा करूँगा. आप लोगों की प्रतिक्रियाओं का स्वागत है

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